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निर्मल गुप्त की कविताएँ : राजा का सच

निर्मल गुप्त की कविताएँ : राजा का सच :   कविता के लोकतंत्र में राजा खुलेआम निकलता है मौलिक नँगई का राजदण्ड लिए नंगे को नंगा कहने वाला बच्चा पोर्नोग्राफी पर निगाह गड़ाये है ज़रा -सी ...